साइड स्टोरी: 20 वर्षाें मे सैंकड़ों जान ले चुकी है पाँवटा साहिब की नदियाँ, आखिरकार कब होंगे बचाव के पुख्ता इंतजाम... ddnewsportal.com

साइड स्टोरी: 20 वर्षाें मे सैंकड़ों जान ले चुकी है पाँवटा साहिब की नदियाँ, आखिरकार कब होंगे बचाव के पुख्ता इंतजाम...
जिला सिरमौर के पाँवटा साहिब से होकर बह रही यमुना नदी में आज तीन और युवक डूब गये। यह शिलाई क्षेत्र के ग्वाली पंचायत से थे और 22 से 24 वर्ष की आयु के बीच के थे। इनकी तलाश जारी है। हर वर्ष यहां पर डूबने से 3 से चार लोगों की मौत हो रही है लेकिन इतने वर्षों में भी प्रशासन की तरफ से बचाव के अभी तक भी पुख्ता इंतजाम नही हो पाये है। पाँवटा साहिब मे यमुना नदी के साथ साथ आस-पास की टौंस, गिरि और बाता नदी में डूबने की घटनाओं पर नजर डाले तो बीते 20 वर्षाें मे इन नदियों में डूबने से मौत का आंकड़ा सौ को पार कर चुका है। इनमें ज्यादातर युवाओं की जान गई है। बावजूद इसके न तो स्नानघाट व अन्य स्नान वाले स्थानों के आसपास फेंसिंग की व्यवस्था है और न ही प्रशासन के पास अपने स्थाई गोताखोर और न ही स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स।
जानकारी के मुताबिक पिछले 20 वर्षों मे करीब 100 से अधिक लोग यमुना सहित सहायक नदियों मे डूबकर असमय काल के मुंह मे समा चुके है। हर वर्ष औसतन तीन से चार लोग तो यमुना नदी मे डूबकर मौत की आगोश मे चले जाते हैं लेकिन प्रशासन इससे कोई सीख न लेकर वही लापरवाहीपूर्ण रवैया अपनाये हुए हैं।
प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबकि वर्ष 2003 से 2025 तक करीब 100 से अधिक लोगों की मौतें इन नदियों में डूबने से हो चुकी है।
अब यमुना स्नानघाट के पास डूबने से मौतों पर नजर डालें तो प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक यहां पर वर्ष 2003 में 3, 2004 में 01, 2005 में 04, 2006 में 04, 2007 में 04, 2008 में 03, 2009 में 03, 2010 में 02, 2011 में 01, 2012 में 03 तथा 2013 में 3 लोग यमुना नदी मे डूब कर मौत का शिकार हो चुके है। वर्ष 2014 मे डूबने के दो मामले सामने आए। ऐसे ही 2015 से 2025 के बीच भी हर साल औसतन 2 से तीन लोग नदी मे डूबकर मौत का शिकार हुए हैं। ऐसे मे यह आंकड़ा 80 से 90 के आसपास चला जाता हैै। यदि सहायक नदियों की घटनाओं को भी जोड़कर देखा जाएं तो सैंकड़ों मौतें यहां डूबने से हो चुकी है। हैरत यह है कि इनमे से अधिकतर मौतें मुुख्य स्नानघाट यानि पुजारी घाट पर ही हुई है। परन्तु फिर भी प्रशासन द्वारा यहां बचाव के कोई पुख्ता प्रबंध नहीं किये गये है। हालांकि पाँवटा साहिब के प्रसिद्व होली मेला, शरद महोत्सव और बरसात के दौरान यहां पर विशेष प्रबन्ध किये जाते है, परन्तु मेला, उत्सव और बरसात खत्म होते ही प्रबंध भी शून्य हो जाते है। हाल यह है कि यदि कोई नदी मे डूबता है तो गोताखोरों को पास के राज्य उत्तराखण्ड से बुलाया जाता है जिससे जिसके बचने की उम्मीद हो वह भी नही बच सकता। यह आंकड़ा तो सिर्फ पाँवटा साहिब स्नानघाट पर यमुना नदी मे डूबने का है। इसके अलावा उपमंडल की बाता, गिरि व टौंस नदी में डूबकर मरने वालों के आंकड़े इसके अतिरिक्त है।
जानकारों की माने तो पाँवटा साहिब नगर चारों और से नदियों से घिरा हुआ है। ऐसे मे यहां नदियों मे होने वाले हादसों की संभावना बढ़ जाती है। बावजूद इसके न तो यहां पर स्थाई गोताखोर को तैनाती की है और न ही कोई आपदा प्रबंधन टीम यहाँ पर मांगी गई है। अब इसे आप सरकार या प्रशासन की नाकामी कहेंगे या भाग्य की बिडंबना कि हर साल नदी मे मौतें होने पर भी आज तक पुख्ता इंतजाम नही हो पाये हैं।
यदि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकना है तो पाँवटा साहिब उपमंडल में एसडीआरएफ (SDRF) की एक स्पेशल यूनिट, सुरक्षा के सभी उपकरणों के साथ स्थाई तौर पर तैनात होनी चाहिए।