Shillai News: ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों को सीबीएसई से संबद्धता में दी जाएं प्राथमिकता: पिंकी रमौल ddnewsportal.com

Shillai News: ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों को सीबीएसई से संबद्धता में दी जाएं प्राथमिकता: पिंकी रमौल ddnewsportal.com

Shillai News: ग्रामीण व पिछड़े क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों को सीबीएसई से संबद्धता में दी जाएं प्राथमिकता

शिलाई की बेटी पिंकी रमौल ने मुख्यमंत्री को ईमेल भेज उठाई मांग

शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा की गई ऐतिहासिक पहल सरकारी विद्यालयों को सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन) से संबद्ध करने को लेकर शिलाई की बेटी पिंकी रमौल ने मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को एक विस्तृत ईमेल पत्र प्रेषित किया है। पत्र में पिंकी रमौल ने राज्य सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है और निश्चित रूप से हिमाचल प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। इससे विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षण पद्धति, समान परीक्षा प्रणाली और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के अवसर मिलेंगे।

साथ ही, चिंता व्यक्त की कि सरकार द्वारा प्रथम चरण के लिए जिन 200 से अधिक विद्यालयों का चयन करना प्रस्तावित किया गया है, वे केवल जिला एवं उपमंडल मुख्यालयों पर केंद्रित हैं। यह नीति ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के विद्यालयों की उपेक्षा करती है, जबकि सबसे अधिक आवश्यकता वहीं पर है। इन क्षेत्रों के परिवार अब भी अपने बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए शहरी इलाकों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। जरूरत इस बात की है कि सीबीएसई संबद्धता की प्रक्रिया में ग्रामीण और दूरदराज़ के विद्यालयों को प्राथमिकता मिले।

पिंकी रमौल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि शिलाई जैसे दूरस्थ व पिछड़े विधानसभा क्षेत्रों के कम से कम 6–7 विद्यालयों को प्रथम चरण में सीबीएसई संबद्धता हेतु चयनित किया जाए। यह विद्यालय क्षेत्रभर में भौगोलिक दृष्टि से समान रूप से वितरित होने चाहिए, ताकि प्रत्येक गाँव और प्रत्येक बच्चे को समान अवसर मिल सके। यह भी सुझाव दिया कि यद्यपि शैक्षणिक सत्र 2026–27 हेतु आवेदन की अंतिम तिथि (20 अगस्त 2025) समाप्त हो चुकी है, तथापि सरकार के पास शैक्षणिक सत्र 2027–28 हेतु पर्याप्त समय है। अनुमान है कि सीबीएसई संबद्धता हेतु आवेदन प्रक्रिया 10–11 मार्च 2026 से आरंभ होगी। इस अवधि में विद्यालयों का चयन, शिक्षकों की नियुक्ति तथा आवश्यक बुनियादी ढांचे के उन्नयन की दिशा में ठोस तैयारी की जा सकती है।

यह पहल तभी सफल होगी जब इससे ग्रामीण-शहरी शिक्षा की खाई घटे और पिछड़े इलाकों के बच्चों को भी राष्ट्रीय मानकों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो। यही वह कदम है जो हिमाचल प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में संतुलित और समावेशी विकास की दिशा में आगे ले जाएगा।