Sirmour: आपदा पीड़ितों के घावों पर मुकद्दमों की चोट मार रही है कांग्रेस सरकार: बलदेव तोमर ddnewsportal.com

Sirmour: आपदा पीड़ितों के घावों पर मुकद्दमों की चोट मार रही है कांग्रेस सरकार: बलदेव तोमर
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता बलदेव तोमर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने संवेदनशीलता और इंसानियत दोनों को ताक पर रख दिया है। मंडी जिले के थुनाग क्षेत्र में जिन लोगों ने अपने घर, जमीन और जीवन की बुनियाद इस भीषण आपदा में खो दी — उन्हीं पर सरकार ने एफआईआर दर्ज कर दी। इससे बड़ा अमानवीय कदम और कुछ नहीं हो सकता।
बलदेव तोमर ने कहा कि यह सरकार आज उस जनता को अपराधी बना रही है, जो अपनी जिंदगी की बुनियादी ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रही है। जिन गांवों का नामोनिशान मिट गया, जिनके खेत खलिहान बह गए, जो आज भी मलबे में दबे अपने भविष्य को ढूंढ रहे हैं – उन्हीं पर यह सरकार पुलिसिया डंडा चला रही है।
उन्होंने कहा कि थुनाग में जनता का विरोध स्वाभाविक था, क्योंकि वहां का बागवानी एवं वानिकी कॉलेज, जिसकी आधारशिला खुद पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रखी थी, उसे अब चुपचाप किसी और क्षेत्र में शिफ्ट किया जा रहा है। जनता ने मंत्री से केवल इतना कहा था कि वह सामने आकर स्पष्ट करें कि कॉलेज यहीं रहेगा — लेकिन मंत्री ने संवाद करने की जगह गाड़ी में बैठकर वहां से निकल जाना बेहतर समझा। यही नहीं, मंत्री ने अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर कहा कि जिनकी ज़मीन आपदा में बह गई, वह तो "कब्जाधारी" हैं – ऐसे शब्द न केवल असंवेदनशील हैं, बल्कि जनता के घावों पर सीधी चोट हैं।
बलदेव तोमर ने सवाल उठाया कि क्या अब इस प्रदेश में अपनी बात कहना, अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाना भी अपराध हो गया है? क्या तिरंगे की आड़ में जनता की आवाज़ को दबाने की इजाज़त मिल गई है? यह वही प्रदेश है जहां भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी विरोध का सामना करना पड़ा, काले झंडे दिखाए गए – तब तिरंगे का अपमान नहीं हुआ, पर आज जब जनता कॉलेज के पक्ष में खड़ी होती है, तो उसे देशविरोधी बताने की साजिश रची जाती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही जिस तरह से विकास परियोजनाओं को रोका, संस्थानों को बंद किया और अब आपदा को बहाना बनाकर उन्हें शिफ्ट करने की चालें चली जा रही हैं – वह बताता है कि यह सरकार जनता के लिए नहीं, सिर्फ राजनीति के लिए जी रही है। जिन लोगों ने अपने घर गंवाए हैं, आज उन्हें न्याय की नहीं, न्याय के नाम पर अत्याचार की मार झेलनी पड़ रही है।