यहाँ की कांग्रेस सरकार ने पारित किया मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक ddnewsportal.com

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यहाँ की कांग्रेस सरकार ने पारित किया मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक

मुख्यमंत्री ने विधेयक विधानसभा में किया पेश, विपक्ष ने किया समर्थन, ये हैं प्रमुख बिंदु...

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने मीडिया कर्मियों को बड़ी सौगात दी है। ऐसा करने वाला वह देश का दूसरा राज्य बन गया है। सरकार ने विधानसभा में बुधवार को ‘छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक’ सर्वसम्मति से पारित कर दिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के पास जनसंपर्क विभाग भी है। उन्होंने विधानसभा में बुधवार को ‘छत्तीसगढ़ मीडियाकर्मी सुरक्षा विधेयक, 2023’ पेश किया और विधेयक पारित होने के बाद इसे ‘ऐतिहासिक’ करार दिया।

विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति के पास जांच के लिए भेजने की मांग की थी जिसे विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने खारिज कर दिया। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने चुनावी घोषणा पत्र में राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कानून लाने का वादा किया था। इस निर्णय के बाद हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी पत्रकारों की उम्मीदें बढ़ गई है। 
दरअसल, छतीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने सदन में कहा कि विधेयक का उद्देश्य छत्तीसगढ़ में काम कर रहे मीडियाकर्मियों के खिलाफ हिंसा को रोकना और मीडियाकर्मियों और मीडिया संस्थानों की संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

उन्होंने कहा कि हिंसक कृत्य से मीडियाकर्मियों को जान का खतरा या मीडियाकर्मियों या मीडिया संस्थानों की संपत्ति को नुकसान और क्षति होने का खतरा रहता है जिससे राज्य में अशांति पैदा हो सकती है। बघेल ने सदन में कहा, ‘‘कई बार कानून लागू करने की मांग की गई और इस संबंध में 2019 में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आफताब आलम की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया. यह कानून सभी (संबंधित पक्षों) के परामर्श से तैयार किया गया है। यह दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा और यह एक ऐतिहासिक दिन है।’’

बीजेपी विधायकों ने दिया समर्थन- 

विपक्ष के नेता नारायण चंदेल और अजय चंद्राकर सहित भाजपा विधायकों ने पूछा कि क्या राज्य सरकार ने क्या एडिटर्स गिल्ड, भारतीय प्रेस परिषद या राज्य में प्रेस क्लबों से परामर्श किया है और कहा कि विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित समिति द्वारा की गई सिफारिश को विधानसभा में पेश किया जाना चाहिए था।’’ जब विपक्ष के सदस्यों ने इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की तब सत्ताधारी दल कांग्रेस ने कहा कि भाजपा पत्रकारों के हितों के खिलाफ है और विधेयक को रोकने की कोशिश कर रही है।
वहीं विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया। बाद में, भाजपा विधायकों ने कहा कि वे कानून को अपना समर्थन देते हैं, लेकिन चर्चा में हिस्सा नहीं लेंगे।

इन्हें माना गया है मीडियाकर्मी-

विधेयक का विस्तार पूरे छत्तीसगढ़ में होगा। विधेयक के मुताबिक मीडिया संस्थान में कार्यरत संपादक, लेखक, समाचार संपादक, उपसंपादक, रूपक लेखक, प्रतिलिपि संपादक, संवाददाता, व्यंग चित्रकार, समाचार फोटोग्राफर, वीडियो पत्रकार, अनुवादक, शिक्षु/प्रशिक्षु मीडियाकर्मी, समाचार संकलनकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार जिसे शासन द्वारा अधिमान्यता मिला हो मीडियाकर्मी माना गया है। विधेयक के अनुसार छत्तीसगढ़ में निवास कर रहे और पत्रकारिता कर रहे मीडियाकर्मियों का पंजीकरण होगा। इसके अनुसार, एक व्यक्ति जिसने पिछले तीन महीनों में मीडिया संस्थान में लेखक या सह-लेखक के रूप में छह लेख या समाचार प्रकाशित किए हैं या एक व्यक्ति जिसने पिछले छह महीनों में समाचार संकलन के लिए मीडिया संगठनों से न्यूनतम तीन भुगतान प्राप्त किए हैं, वह पंजीकरण के लिए पात्र होगा। मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के लिए गठित एक समिति पंजीकरण प्राधिकरण का कार्य करेगा।

मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के लिए समिति-

विधेयक के अनुसार अधिनियम के शासकीय राजपत्र में अधिसूचना के प्रकाशन के 90 दिनों के भीतर शासन मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक समिति का गठन करेगा जो मीडियाकर्मियों जिन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है की प्रताड़ना, धमकी या हिंसा या गलत तरीके से अभियोग लगाने और उनको गिरफ्तार करने संबंधी शिकायतों का निराकरण करेगी। यह समिति छत्तीसगढ़ मीडिया स्वतंत्रता संरक्षण एवं संवर्धन समिति के नाम से जानी जाएगी।
विधेयक में कहा गया है कि समिति का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा और कोई भी मनोनीत सदस्य इस समिति में निरंतर एक से अधिक अवधि के लिए मनोनित नहीं किया जा सकेगा। विधेयक में कहा गया है कि यदि किसी मीडियाकर्मी के खिलाफ आरोप या जांच हो रही है या पूर्व में जांच हुई है तब समिति संबंधित जिला पुलिस अधीक्षक से 15 दिनों के भीतर जांच प्रतिवेदन सौंपने का निर्देश दे सकती है।

विधेयक के प्रमुख बिंदु

गौरतलब है कि 17 मार्च, 2023 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष में मंत्री परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा विधेयक-2023 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया था।

● मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए बताया कि जितने भी पत्रकार हैं, चाहे वे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के हों, चाहे प्रिंट मीडिया के हों या पोर्टल के हों, जो ऑफिस में काम करते हैं और वे भी जो गाँव में काम करते हैं, ऐसे लोगों को छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा कानून के दायरे में लाया गया है, ताकि उनकी सुरक्षा हो सके।
जिनके पास अधिमान्यता पत्र नहीं है उनका रजिस्ट्रेशन करने का, अगर प्रेस कहता है कि वे हमारे साथ हैं और जो लगातार छह महीने के अंदर उसमें तीन लेख लिखे हों या उनकी स्टोरी छपी हो, ऐसे लोगों को भी छत्तीसगढ़ मीडिया कर्मी सुरक्षा कानून के दायरे में लाया गया है।

● यदि कोई शासकीय कर्मचारी उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं तो उनकी शिकायत के लिये अधिकार संपन्न समिति बनाया गया है। यह समिति प्रदेश स्तर की होगी, जिसमें पत्रकार, अधिकारीगण होंगे, छह लोगों की समिति बनेगी, जो सुनवाई करेगी और आवश्यक निर्देश भी दे सकेगी और दंड का भी प्रावधान किया गया है।

● यदि कोई समिति के निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, तो अपील का भी प्रावधान रखा गया है। लेकिन यदि कोई गलत शिकायत करता है तो उसके लिये दंड का प्रावधान भी रखा गया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अफताब आलम की अध्यक्षता में एक प्रारूप समिति बनी थी, जिसके सदस्य न्यायमूर्ति सेवानिवृक्त न्यायाधीश अंजना प्रकाश, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजूराम चंद्रन, वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय ललित सुरजन, प्रकाश दुबे, मुख्यमंत्री के सलाहकार रूचिर गर्ग, महाधिवक्ता, विधि विभाग के प्रमुख सचिव, पुलिस महानिदेशक इसके सदस्य थे।

● इस समिति ने राज्य और दिल्ली में अनेक बैठकें करके विभिन्न संगठनों से चर्चा के बाद इसका प्रारूप बनाया और उसके बाद इस प्रारूप को विभाग को सौंपा गया, विभाग द्वारा लंबा विचार-विमर्श करके इसको विधेयक का रूप दिया गया।

● राज्यपाल से अनुमति लेकर इसे विधानसभा में प्रस्तुत किया गया और विधानसभा में यह विधेयक पारित हुआ। ऐसा विधेयक जो मूल विधेयक है और जो पहली बार छत्तीसगढ़ की विधानसभा में प्रस्तुत हुआ, विपक्ष को भी इसमें अपनी राय रखनी थी। हालाँकि सर्वानुमति से इस विधेयक को पारित किया गया।