Sirmaur: आज हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में होगा छत्रधारी महासू महाराज जी का भव्य आगमन, तैयारियाँ पूरी ddnewsportal.com
Sirmaur: आज हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में होगा छत्रधारी महासू महाराज जी का भव्य आगमन, तैयारियाँ पूरी
आज वो ऐतिहासिक क्षण आने वाला है जब पहली बार छत्रधारी चालदा महासू महाराज पहली बार हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। उत्तराखंड के जौनसार-बावर के गांव दसऊ मंदिर में अढाई साल प्रवास के बाद छत्रधारी श्री चालदा महासू महाराज जी की पवित्र बरवांश यात्रा आज यानी शनिवार को हिमाचल प्रदेश में प्रवेश कर जाएगी। यह वह क्षण है जिसका राज्य के सिरमौर जिले के शिलाई क्षेत्र के भक्त वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। शनिवार को महाराज जी सीमांत क्षेत्र मीनस से राज्य मे प्रवेश करेंगे। रात्रि पड़ाव द्राबिल में होगा। जहां से कल यानी रविवार को महाराज जी का यात्रा शुरु होकर शिलाई के पश्मी गांव में सम्पन्न होगी। यहां चालदा महासू महाराज भव्य मंदिर में विराजमान होंगे और लगभग एक वर्ष तक यहीं रहेंगे। उनके आगमन को लेकर भक्तों में भारी उत्साह है। शिलाई क्षेत्र में उत्सव सा माहौल है। बता दें कि यह यात्रा बीते 8 दिसम्बर को उत्तराखंड के जोंसार के दसऊ मंदिर से प्रारंभ हुई है। यहां महाराज जी लगभग अढाई वर्ष तक विराजमान रहे।

बता दें कि आज शनिवार को हिमाचल और उत्तराखंड की अंतर्राज्यीय सीमा मीनस पुल पर भव्य स्वागत के लिए उत्तराखंड की देवधार खत के 35 गांव और शिलाई विधानसभा क्षेत्र के लगभग 52 गांव ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक वेश-भूषा के साथ एकत्रित होंगे। इस दौरान देवता की बरवांश यात्रा की अगुवाई देवता के कारिंदे, भंडारी और वजीर करेंगे। बरवांश पूजा के उपरांत देवता पहली बार टौंस नदी के दूसरे छोर बसे पश्मी गांव में आगामी एक वर्ष तक विराजमान रहेंगे, जिसके लिए पूरे गिरिपार क्षेत्र में उत्साह और धार्मिक उल्लास का माहौल है।
■ कौन है श्री चालदा महासू महाराज?
महासू महाराज के भक्तों की माने तो चालदा महासू महाराज भगवान शिव के ही रूप हैं और महासू देवता (जो चार भाइयों का समूह है) में सबसे छोटे भाई हैं, जो उत्तराखंड और हिमाचल के जौनसार-बावर क्षेत्र के न्याय और लोक कल्याण के चलते-फिरते देवता हैं। इनकी मुख्य मान्यता यह है कि ये पूरे क्षेत्र में भ्रमण करते हैं। लोगों की समस्याएं सुनते हैं। न्याय दिलाते हैं और अपराधियों को दंडित करते हैं, जिसके कारण लोग न्यायालय जाने की बजाय इनके दरबार में जाते हैं।
लिहाजा इन्हें न्याय के देवता के रूप में भी माना जाता है। बताते हैं कि उत्तराखंड के जौनसार-बावर और हिमाचल प्रदेश के शिमला, सिरमौर, सोलन जैसे क्षेत्रों में इनकी गहरी आस्था है, जहां इन्हें 'महाशिव छत्रधारी' के रूप में भी पूजा जाता है। बताते हैं कि इनको आगामी प्रस्थान के लिए जहां जाना होता है, वहां पर पहले इनका देव चिन्ह पहुंचता है, जिसके बाद देवता उस स्थान के लिए प्रस्थान करते हैं।

उधर, यात्रा को सुगम बनाने के लिए सरकार और प्रशासन द्वारा पुख्ता बंदोबस्त किए गए है। कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए प्रशासन द्वारा पूरी कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 100 से अधिक पुलिस जवान व गृहरक्षक तैनात किए गए हैं। स्वास्थ्य की जांच के लिए स्वास्थ्य शिविर की व्यवस्था रहेगी। सुचारू यातायात व्यवस्था बनाए रखने के सख्त निर्देश भी दिए गए हैं। प्रशासन ने लोगों से आह्वान किया कि वह विनम्रता, शांति, स्नेह व आस्था के साथ महासू महाराज का स्वागत करें।
